भावार्थ – हे हनुमान जी ! यदि कोई मन, कर्म और वाणीद्वारा आपका (सच्चे हृदय से) ध्यान करे तो निश्चय ही आप उसे सारे संकटों से छुटकारा दिला देते हैं। चिन्टू सेवक द्वारा गाया हनुमान चालीसा कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥ कञ्चन बरन बिराज सुबेसा । व्याख्या – श्री https://charlesn417vvt3.blogofchange.com/profile