आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की, राखउ नाथ मरजाद नाम की । वन उपवन मग गिरि गृह माहीं। तुमरे बल हम डरपत नाहीं॥ भक्त का भाव ही प्रभुको प्रिय है - प्रेरक कहानी संकटमोचन अष्टक माह पञ्चाङ्ग दैनिक https://yantra61593.look4blog.com/71239276/hanuman-for-dummies